Speaker kya hai । कैसे काम करता है कैसा डिवाइस हैं
Speaker kya hai – नमस्कार ।। दोस्तो आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि Speaker kya hai यह कैसे काम करता है और यह कैसा डिवाइस है ओर इसको कब ओर क्यों बनाया गया था आदि सभी इसी प्रकार की बात हमे इस आर्टिकल में देखने को मिलेंगी तो चलिए जानते हैं कि Speaker kya hai
Speaker kya hai
Speaker kya hai – speaker एक साउंड उत्पन करने वाला डिवाइस हैं स्पीकर की मदद से ही हम गाने या कुछ भी डीजे आदि सुनते हैं जब हम किसी से फोन पर बात करते हैं वीडियो कॉल हो या फिर वाइस कॉल हो वो सब हम स्पीकर की मदद से ही सुन पाते हैं
स्पीकर का यूज ज्यादातर गाने आदि सुनने के लिए ही किया जाता है वैसे तो हम डेली ही स्पीकर का उपयोग करते हैं चाहे गाने सुनने में करते हैं या फ़िर कॉल करने में करते हैं या फिर टीवी आदि देखते वक्त भी हम सब कुछ स्पीकर की मदद से ही सुन पाते हैं
speaker kaisa device hai
speaker kaisa device hai – स्पीकर एक आउटपुट डिवाइस हैं जिसका उपयोग आउटपुट सुनने के लिए किया जाता हैं
speaker kaise Kam karta hai
speaker kaise Kam karta hai – speaker में सर्कुलर चुम्बक लगा होता हैं आगे एक खुला सर्कुलर Iron metal का प्लेट लगा रहता है जो नॉर्थ पोल का काम करता हैं। पीछे की तरफ भी एक plate लगा होता है जिसका पोल आगे की तरफ निकला रहता हैं। यह south pole का काम करता हैं।
इन प्लेटों के कारण इनके बीच मे स्ट्रॉन्ग मैग्नेटिक फिल्ड बन जाता है। नीचे वाली iron प्लेट के पोल तथा ऊपर वाली प्लेट के बीच मे थोड़ा जगह छुटा रहता है। इस गैप में एक voice coil इस तरह से रखते है कि ऊपर-नीचे करने पर चुम्बक से टकराए नही।
वॉयस क्वाइल पेपर या मेटल से बना होता है इसके ऊपर copper का तार लिपटा रहता हैं। जब वॉयस क्वाइल मे करंट दिया जाता है तो यह चुम्बक की तरह काम करता हैं। दोनों south pole पास होने के कारण कम्म्पन करते रहते है जिससे sound सुनाई पड़ता है।
स्पीकर में स्पाइडर भी रहता है जो अन्दर से वॉयस क्वाइल तथा बाहर speaker फ्रेम से जुड़ा रहता है। spider voice coil को मैग्नेटिक फील्ड मे बनाए रखता है।
Speaker मे cone लगा होता है जो सीधे voice coil से जुड़ा रहता है। कोन आवाज उत्पन्न करने में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह एयर के संपर्क में रहता है। cone को सपोर्ट करने के लिए पेपर या रबर का स्ट्रक्चर बना रहता है जिसे surround कहते है।
Surround और spider की सहायता से वॉयस क्वाइल और कोन एक ही दिशा मे ऊपर-नीचे होता रहता है। कोन के अंदर एक dust cap लगा होता है जिससे voice coil खराब न हो। स्पीकर के बाहर लोहे का frame लगा दिया जाता है।
Voice coil के दो तारो को बाहर निकाल दिया जाता है ताकि उसे Amplifier से जोड़ा जा सके। Amplifier में जो sound play करेंगे उसी हिसाब से वॉयस क्वाइल vibrate करता हैं।
Speaker ko kisne banaya tha
पहला स्पीकर Johan Philip Ris ने 1861 में बनाया था इन्होंने टेलीफोन में लाउड स्पीकर जोड़ा ताकि आवाज तेज सुनाई सके। इसके बाद 1876 में एलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने विद्युत लाउड स्पीकर को पेटेंट करवाया।
आज के गतिशील स्पीकर 1925 मे एडर्वड डब्ल्यू केलाग और चेस्टर डब्ल्यूराइस ने किया था जो एक ही सिद्धांत पर काम करते है। सन 1930 मे जेन्सेन ने पहली बार वैद्युत चुम्बकीय लाउड स्पीकर को बनाया था।
Conclusion
दोस्तों अगर आज के इस आर्टिकल में जो की speaker से रिलेटेड हैं से आपको जरा सी भी जानकारी मिली हो और आपकी सहायता हुई हो तो कमेंट में अपनी राय दे और हमें हमारी गलती बताएं ताकि हम अपने आर्टिकल में सुधार कर सके और हमें माफ करें
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